संदेश

जुलाई 14, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कर्म

चित्र
नमस्कार मित्रों दोस्तों पिछले लेख में हमने बताया था कि कृष्ण के समय कई परम्परायें टूटी, कई नियम टूटे, और एक नये धर्म का उदय हुआ जो व्यक्ति को कर्मशील बनाता है। जो भगवान के अस्तित्व को स्वीकार करो या मत करो, पूजा पाठ करो या मत करो, धार्मिक रहो या अधार्मिक, सात्विक रहो राजसिक या तामसिक लेकिन कर्म और कर्म के फल में आसक्ति मत रखो। कर्म को देखो, देखने से आप drasta बन जाओगे, इस तरह आप कर्म और उसके परिणाम से बच सकते हो, छूट सकते हो। कर्म के साथ ही मन और शरीर भी छूट जाता हैं।  कर्म,और उनके परिणाम में आसक्ति के छूटते ही आप मुक्त हो, स्वतंत्र हो। बन्धन का कारण मन, शरीर और कर्म ही है। जब कर्म और उसके परिणाम में आसक्ति नही रहती तो प्रकृति भी कोई परिणाम नही देती, तो व्यक्ति पिछले कर्मो के परिणाम को भोगकर, प्रकृति के बन्धन से मुक्त हो जाता हैं। नये कर्म नही बनने पर और पिछले कर्मो के चुक जाने पर, आत्मसाक्षात्कार हो जाता हैं, और वह जीवन मरण के बंधन से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता हैं। इसमें कृष्ण ने कही नही कहा कि पूजा पाठ करो या तपस्वी बनो, या धोत्ति बाँधो  जनेऊ चोटी तिलक लगाओ। इसीलिए कृष्ण ...

स्वार्थ

चित्र
मित्रों हमने पिछले लेख में विश्व कल्याण परिषद के अंतर्गत परमार्थ नाम से एक संक्षिप्त लेख दिया था। आज हम आपको अध्यात्म शक्ति अनुसंधान केंद्र से सम्बंधित एक लेख दे रहे हैं। इसमें जानेगें कि योग के सिद्धान्तों से, हम अपने आप को,अपने जीवन को कैसे बदलें, जिस तरह एक योगी को भारतीय संस्कृति मे पूर्ण शारिरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति बताया है, वह लक्ष्य केसे प्राप्त हो।  योग के अंतर्गत ही चेतना, परमात्मा व आत्मा का विषय भी आ जाता है। दोस्तों भारतीय संस्कृति में कई प्रकार के योग बतलाये हैं, लेकिन उनको हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं, एक ध्यानयोग और दूसरा ज्ञानयोग, यह दो प्रकार के योग ही भारतीय संस्कृति की मुख्य धरोहर है। ज्ञान योग का सबसे उत्तम, भारत में सबसे अधिक प्रचलित ग्रन्थ हैं गीता। विश्व को गीता का ज्ञान देने वाले श्री कृष्ण व उनका ज्ञान, भारत के कण कण में बसा है। उन्होंने अर्जुन को स्पष्ट कहा कि,  1 कर्म कर फल की इच्छा मत कर 2 कर्म का परिणाम निश्चित आना है। और उन्होंने यह भी कहा अर्जुन को, 3 अगर तुम सन्यासी बनने की सोच रहे हों तो कर्म तो सन्यासी का भी बनता है। अतः अपने...